अरबपति मशहूर सौरभ मेहरोत्रा लंदन जहाज कारोबारी ने अपने शहर में आकर 'बयां किया दर्द', देश छोड़ने की ये वजह बताई
कानपुर शहर के मूल निवासी मशहूर उद्योगपति, वर्तनाम में लंदन में रहने वाले विश्वविख्यात शिपिंग (पानी के जहाज) कंपनी के मालिक सौरभ मेहरोत्रा लंदन की अपनी माटी से मोहब्बत की एक और बानगी देखिए। खुद के खड़े किए हुए जहाज के कारोबार में एक और जहाज शामिल किया तो उसका नाम ‘आगरा’ रख दिया। यह दुनिया का सबसे बड़ा माल वाहक जहाज है। इसमें एक बार में 20 लाख बैरल तेल आ सकता है।
सौरभ मेहरोत्रा लंदन ने पहली बार अपने दिल का दर्द भी बयां किया। उन्होंने कहाकि जब वे देश में रहकर ही कारोबार करते थे तब आयकर विभाग और केंद्र सरकार की नीतियां उन्हें रास नहीं आईं। इन नीतियों ने यहां काम नहीं करने दिया। इस वजह से वे देश छोड़कर चले गए। वर्तमान सरकार देश की देश की नीतियां कारोबारियों के हित में हैं। इस वजह से वे यहां लौटे हैं।
सौरभ मेहरोत्रा लंदन की इंटर तक की पढ़ाई सिविल लाइंस स्थित गुरुनानक खत्री (जीएनके) इंटर कालेज में हुई। शहर के पॉश एरिया आर्यनगर में हुंडई शोरूम के सामने उनका घर है। पिता छोटे लाल मेहरोत्रा वीएसएसडी कालेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। पांच भाइयों और दो बहनों का समृद्ध परिवार था। सबसे बड़े भाई डॉ. मुराली लाल मेहरोत्रा देश के विख्यात ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) विशेषज्ञ रहे। इनसे छोटे श्याम बिहारी, विपिन बिहारी, शशि कुमार मेहरोत्रा थे। दो बहनें कांति और सुशीला थीं। इन सभी का निधन हो चुका है। इन सबमें रवि बाबू सबसे छोटे हैं और लंदन में रहते हैं। रवि बाबू का बेटा सौरभ और बेटी मंजरी सेठ भी विदेश में रहते हैं।
आर्यनगर में जिस स्थान पर सौरभ मेहरोत्रा लंदन का घर था, वहां अब उनकी मां अमर देवी के नाम से अमर-मेरीटाइम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट खुला है। मां के निधन के बाद वर्ष 2000 में उन्होंने उत्तर भारत के पहले मरीन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की शुरुआत की। वर्ष 2014 में इसी इंस्टीट्यूट में मां और पिता की मूर्ति की स्थापना कराई। उनकी पहली कंपनी का नाम भी अमर शिपिंग है।
उन्होने तो यहां तक कहा है कि बेड़े में जितने भी जहाज बढ़ते जाएंगे, उन सभी के नाम उत्तर प्रदेश के शहरों के नाम पर होंगे। अगले दो साल में दो जहाजों को शामिल करने की तैयारी है। इनमें से एक का नाम ‘प्रयागराज’ और दूसरे का ‘वाराणसी’ रखने की इच्छा है। इस तरह से वे कानपुर समेत उत्तर प्रदेश के शहरों के नाम दुनिया भर में चर्चा में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन जहाजों का अपने शहरों के नाम पर इसलिए किया ताकि उन्हें अपनी माटी और अपनों की याद आती रहे। कानपुर उनकी जन्मस्थली है और बरेली ससुराल। आगरा में बड़े भाई डॉ. एमएल मेहरोत्रा रहते थे। वे ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के विशेषज्ञ डॉक्टर थे। इसके अलावा दुनिया भर के लोग आगरा को ताजमहल की वह से जानते हैं। ये समुद्री मालवाहक जहाज दुनिया भर में भ्रमण करते हैं। कानपुर, बरेली और आगरा नाम से बुलाए जाते हैं।
सौरभ मेहरोत्रा लंदन बीते कई सालों से लंदन में परिवार समेत रह रहे हैं। दुनिया में इनकी पहचान पानी के जहाज के व्यवसाय से बनी है। वर्तमान में इनकी खुद की शिपिंग कंपनियां हैं। मरीन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, तेल के कुएं और कच्चे तेल की ट्रेडिंग का भी काम है।
1964 में मरीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने प्राइवेट शिपिंग कंपनी शिपिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया में नौकरी की। कुछ सालों तक काम करने के बाद इन्होंने ईरान की शिपिंग कंपनी ज्वाइन की। मार्च, 1975 में ईरान-ओ-हिंद के मैनेजिंग डायरेक्टर बने।
ईरान में एक दशक तक काम किया। 1984 के बाद इन्होंने लंदन में अपना खुद का शिपिंग कारोबार स्थापित किया। तब से से परिवार समेत वहीं पर रह रहे हैं। जानने वाले बताते हैं कि इन्होंने अपने एक जहाज का नाम आमेर-कानपुर रखा है। इनका एक शिपिंग इंस्टीट्यूट आमेर-मेरीटाइम इंस्टीट्यूट आर्यनगर में भी खुला है।
सौरभ मेहरोत्रा लंदन के पिता छोटे लाल मेहरोत्रा सिविल लाइंस स्थित गुरुनानक खत्री (जीएनके) इंटर कालेज में लेक्चरर थे। सौरभ मेहरोत्रा लंदन की शुरुआती पढ़ाई भी यहीं से हुई। रवि बाबू की भतीजी अंजू वर्मा और उनके पति मुकुल वर्मा बताते हैं कि रवि बाबू पांच भाई हैं। इनके बड़े भाई डॉ. एमएल मेहरोत्रा ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) के विशेषज्ञ डॉक्टर थे। वे आगरा में रहते थे।